Monday, May 27, 2013

चुप रहो  तुम ..................
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जब बाहर गोलियां चल रही हों  
क्या हमें उस समय  चिड़िया और सुहावने मौसम पर 
एक सुन्दर कविता पढ़ लेनी चाहिए ....................

जब मौत ने आकस्मिक रूप से हमें हर तरफ से  घेरा हो 
क्या हमें उस समय बच्चों को आसमान का
कोई  सबसे सुन्दर तारा उन्हें देर तक दिखाना चाहिए ...........

जब मानवीयता के नये शब्दकोश पर देर तक बहस चल रही हो 
क्या हमें उस समय अपने इलाके का 
सबसे लोकप्रिय लोक संगीत सुनना चाहिए ...................

चीख की गर्द से आसमां भर गया हो जब 
क्या हमें उस समय दर्द से बिगड़े हुए अपने आइने  को 
ताजे गीले अखबार से देर तक पोंछते रहना चाहिए .............
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कंचन 

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