कदमताल बनता फोटो
______________________________________________
जो सदियों तक
कोमा में पड़ी रही अनवरत
अचानक बुदबुदाने लगी
बिना रुके बोलती रही लगातार .........
कान कहीं हैं नहीं
सुन कोई नहीं रहा कुछ
फिर भी जीभ चलती जा रही है लगातार ......
काट रही है अपने धागे
ढूंढ रही है पाँव के घुँघरू
घुँघरू की रस्सी के निशां बाकी हैं .......
कोमा में पड़ी स्त्री अचानक
थिरक उठती है
उसके कान गायब हैं
संगीत उसकी आँखों में है
जीभ अपनी चाल में है
पाँव और जुवां कदम ताल कर रहे हैं .....
पचास की उम्र में
अपना बीस साल पुराना फोटो
बार -बार देखना चाहती है
आईने से भी ज्यादा
जवां उम्र की लड़की को
दिखाती है अपना पच्चीस का फोटो
चिहुँक कर बताती है अपना पूरा ब्यौरा
खुश है कि अपने फोटो में ताज़ा और जवां है
तेज़ी से मुद्रायें बदलती नाचती जा रही है लगातार ..................
______________________________________
कंचन
No comments:
Post a Comment