Saturday, July 27, 2013

मेरा घर मेरा है …. 
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मेरा घर मेरा है … 

घर मैंने बनाया है मेहनत की अपनी कमाई से 
घर के बाहर मेरा नाम और पता लिखा हुआ है 
ठीक जैसे पिता के घर के बाहर पिता का नाम था 

अपने लिए घर मैंने खुद खरीदा अपनी मेहनत के पैसों से 
अब घर से निकाले जाने का कोई खौफ कभी नहीं होगा 
मेरे पांवों की जमीन पक्की और पहचान अपनी होगी

बचपन से मालूम था कि पिता का घर पराया है मेरा नहीं
 बताया गया था "औरत का अपना घर कोई नहीं होता "
मैंने नहीं मानी बतायी हुयी बातें और बदल डाली जड़ भाषा  
 नेमप्लेट पर सजा मेरा नाम और पता मेरा अपना वज़ूद है

लड़की को दहेज़ नहीं , उसके अपने मजबूत पाँव मिलने चाहिए
जिनसे नापी  जाये धरती और अपने पाँवों की मजबूत जमीन हो  
बेटी के सपने में , सफ़ेद घोड़े पर सवार घरवाला नहीं चाहिए 
उसके सपने में अपनी राहें और पहचान का मुकाम होना चाहिए 

पिता को घर बनाते और माँ को उसके लिए पैसे बचाते देखकर ही 
मैंने सीख लिया था अपना घर बनाना 
अब कोई नहीं कहेगा कि "औरत का कोई घर नहीं होता "
सच यह है कि स्त्री को कोई घर देता नहीं है ,
स्त्री अपना घर खुद बनाती है अपनी मेहनत और लगन से

आज मैंने बनाया है, कल सब बनायेंगे 
अब मेरा घर मेरा है, बाहर लिखा पता मेरा है
अब सब जानते हैं मुझे मेरे नाम से यहाँ 
घर मेरी पहचान , मेरा साहस,मेरा वजूद  है………
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कंचन 

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