Thursday, August 1, 2013

नहीं , तुम ना नहीं कह सकती , लड़की !
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तुम ना नहीं कह सकती , लड़की !
अगर कहा ,तो.………………. 

तुम्हारे सिर के टुकड़े-टुकड़े किये जायेंगे 
तुम्हें एसिड से जलाया,गलाया जायेगा ,
तुम्हारे हाथ की नसें काट दी जायेंगी,
तुम्हें जलती लपटों में झोंका जायेगा,
तुम्हें बेल्ट से पीटा जायेगा , 
तुम्हें जबरदस्ती पकड़कर 
मुँह में सल्फास खिलाया जायेगा 

तुम्हें सोलह दिसंबर की रात की 
दिल्ली की सड़क की चलती बस 
बार -बार याद रखनी होगी ,
तुम्हें जुलाई के आखिरी दिन की
जे एन यू के क्लास -रूम में बहते खून 
और पीछे बैठे सहपाठी को याद रखना होगा 
तुम्हें खूबसूरत लॉन में फूल को नहीं 
खून में सनी लाल कुल्हाड़ी को याद रखना होगा 

लड़की ! 
अगर तुम्हें जिन्दा रहना है तो 
यह सब याद रखना होगा ……।
  
लड़के ने हमेशा याद रखा है यह सब
अपने भीतर और बाहर की दुनिया में 
मर्दानगी और काबिज सत्ता के लिए।
उसने हमेशा पिता को और अन्य पुरुषों 
की शान स्त्री की "हाँ "में देखी है.….…

पुरुष और स्त्री दोनों का जीवन
स्त्री की "हाँ "में है 
लड़के/लड़की  ने हमेशा देखा और सीखा है -
स्त्री की "ना " का अर्थ -उसकी मौत.…….  !!!

मैंने कहीं पढ़ा है कि  बच्चे कान से नहीं आँख से सुनते हैं….
यही देखती हूँ आस -पास के बच्चों में ,
बच्चे पढ़कर नहीं देखकर जानते हैं 
व्यवहार और कहन का अंतर।  

बच्चे कैसे देखें कि परिवार में ,समाज में ,
साथ पढ़ने वाली लड़कियों से,
सड़क पर चलने वाली लड़कियों से  
कैसे बदलाव का, मनुष्य होने का व्यवहार किया जाए ???

आखिर लडकियों से कैसे अच्छा व्यवहार करें 
सड़क पर चलें और उन्हें देखें नहीं 
राह चलते किसी को छेड़े नहीं 
फिकरे कसें , पटायें नहीं 
तो जवानी कैसे जियें ,लड़के …?
कोई और तरीका देखा नहीं उस उम्र में व्यवहार का…

लड़की की "हाँ"  पर अपने अधिकार का 
जन्मसिद्ध अधिकार देखता ,सीखता और जीता है लड़का 
लड़की की 'हाँ ' के बिना मरने और मारने का संस्कार है लड़का 

घर में, बाहर सड़क पर ,रिसेप्शन पर , और कक्षा में 
अगर कोई पुरुष ,लड़का 'ना  ' सुनकर चुप रहेगा तो 
वह मर्द नहीं माना जायेगा , लतियाया और लताड़ा जायेगा 
 
लड़की की 'हाँ' और पटाने का नुस्खा नया लड़का 
अपने आस-पास और अगली फिल्म में पा लेता है
लेकिन लड़की की 'ना ' पर 
लड़की के सिर के टुकड़े -टुकड़े करने का
पुराना आदिम रिवाज़ गाँव ,नगर हर  जगह 
घर और सड़क पर मौजूद है।  

लड़की ,तुम्हारे हाथ -पांव तोड़ दिए जायेंगे 
ट्रेन से नीचे फेंक दिया जायेगा 
मुँह पर एसिड फेंका जायेगा 
हर वक्त जानलेवा धमकी और 
माँ की हिदायत का फोन आयेगा

लेकिन लड़के /लड़कियों तुम्हें 
इस ना और हा के फेर से
निकलना होगा साथ -साथ 
जीना होगा साथ -साथ ….…
 
कहो ! कि तुम इंसान हो। 
जल्लादों को शर्मसार करो 
उनके संस्कारों को ,व्यवस्था को 
एक साथ मिलकर "ना " कहो 
उन्हें अपने नये होने का अर्थ बता दो 
तुम आदिम नहीं ,तुम पढ़े लिखे हो 

तुम इंसान हो
इंसान रहो 
तुम प्रेम करो 
तुम नये होकर 
तुम साथ -साथ जियो 

आओ! हम साथ-साथ मरने
की कसम को पुराना करें 
सावन के महीने में खून से लाल नहीं 
मन के हरे होने के दस्तूर को जियें 

हमें जीता हुआ देखो 
मरते हुए जल्लादों !!!

मेरे बच्चों !
तुम्हें हमेशा जिन्दा प्रेम कथाएँ मिलेंगी 
मेरा वादा है.……. 
तुम भी ट्रेजिक नहीं 
जीता हुआ प्रेम लिखना   
यह मरने और मारने का
पुराना आशिकाना आदर्श  
बदलना होगा ………

तुम्हारा आसमान साफ़ और सतरंगी रहेगा 
सावन के महीने में हरी रहेगी तुम्हारी धरती।  
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कंचन 

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