Friday, February 21, 2014

पाठ कहाँ से आता है ------------------?
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सिखाया तो यह भी बचपन से जाता है
'आपस में हम भाई भाई '
लेकिन यह समझने में
वर्षों लग जाते हैं कि
यह इस पाठ की ज़रूरत क्यों थी ?

खूब देशभक्ति के गीत गाये स्कूल में 
लेकिन जीवन में जो सच देखा
वह पाठ कहाँ से आता है?

देशभक्ति के गीतों से रोंगटे खड़े होते
उनमें ख़ून बहाने वाले वीर और योद्धा कहलाते------

लेकिन सरेआम सड़को पर
आम जनता का क़त्ले-आम !!
यह पाठ कहाँ से आता है ?

खूब सिखाया पढ़ाया जाता
'यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमन्ते तत्र देवता '
कन्या पूजन और नारी शक्तिरूपा की कहानियाँ भी-------

लेकिन डायन,घायल और घसीटी जाती नंगी,
चीखती और मृत स्त्री की दुनिया !!
यह पाठ कहाँ से आता है ?

'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ' और
'वसुधैव कुटुंबकम ' का पाठ
हम सभी ज़रूर-ज़रूर पढ़ते हैं-------------

लेकिन नस्ल, जाति, भाषा ,क्षेत्र के अलग होने से ही
हत्या,अलगाव ,अकेलापन और आत्महत्या !!
यह पाठ कहाँ से आता है ?

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कुछ ही दिनों पहले छह लोग असम में मारे गये हिन्दी भाषी होने के कारण
यह एक खास क्षेत्र और राष्ट्र भाषा का मामला मानकर सब चुप रहे
क्या यह पहली बार हुआ ? पहले भी होता रहा है ---------------
कब तक चुप रहोगे ?
पाठ कब सही होंगे ?

कुछ ही रोज़ पहले नस्ल और संस्कृति की दुहाई देकर हमने अपना रंग बता दिया
यह एक खास रंग और खास देश का मामला मानकर सब चुप रहे
क्या यह पहली बार हुआ ? पहले भी होता रहा है ---------------
कब तक चुप रहोगे ?
पाठ कब सही होंगे ?

क्या इसलिए कि मरने वाले सड़क पर मरते हैं
और पाठ बंद कमरे में होते हैं ?

हम कब पाठ बदलेंगे ?
हम कब पाठ को सीधे जीवन की सड़क से जोड़ेंगे ?
बचपन कब तक आश्रम कुटीर बना लताओं और पुष्प गुच्छों से सजा रहेगा ?

पुस्तकों के कवर पेज पर बस्ता टाँगे बच्चे प्रभात फेरी में देशभक्ति के गीत गायेंगे
और पड़ोस में हुए क़त्ल से अनजान ईयरफ़ोन लगाकर कार्टून देखेंगे !!

सही रास्ता निकालता कोई कलाकार
बदहवास शक्ल में खोया-खोया लगता रहेगा तब तक
जब तक हम पाठ नहीं बदलेंगे!

मुस्कानें आग में बदलकर जलाएंगी हमे तब तक
जब तक हम पाठ नहीं बदलेंगे!

हम कब पाठ बदलेंगे ?
हम पथ कब बदलेंगे ???
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कंचन

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