Friday, February 21, 2014

दहशत में बच्चे पलते हैं !!
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तुम लड़की को सड़क पर दबोच सकते हो
तुम युवा को सड़क पर पीट पीटकर मार सकते हो
तुम प्रेम की सजा में सामूहिक बलात्कार करवा सकते हो

तुम भीड़ बनकर सड़क पर नारे लगा सकते हो
तुम ज्ञानी होकर नये नये कानून बना सकते हो
तुम शांत होकर धर्म की राह दिखा सकते हो 

तुम ज़िन्दा नहीं कर सकते सड़क पर मारे गये लड़के को
तुम ज़िंदा नहीं कर सकते हॉस्पिटल में मरी लड़की को
तुम लौटा नहीं सकते उसकी खोयी अस्मिता को

तुम्हें पता है! तुम मिटा नहीं पाये उसकी पहचान
जिस पर तुमने एसिड डालकर चेहरा बिगाड़ा
तुम मिटा न सके उसकी अंधी आँख में जीते सपने
तुम उसके दिल का प्रेम भी कहाँ मार पाये
जिसे प्रेम करने पर सामूहिक बलात्कार करवाया

तुमने मार डाली अपनी इंसानियत और
अपने बच्चों के दिलों में दहशत भर दी
तुम्हारा पता हम सबको मालूम है
तुम सड़क पर ताकतवर भीड़ हो
और घर के अंदर दर्द में सने लाचार हो

तुम सिर पर उड़ती शातिर चील हो
जिससे अपने बच्चों को बचाना है
भीड़ की दहाड़ के बीच में घुसकर
खोये हुए इंसान का चेहरा उगाना है

नहीं ! यह सब कोरी बकवास और बुदबुदाहट है
सच यह है कि मैं शर्मिंदा हूँ और दहशत में हूँ
अपने बच्चों की फ़िक़र में सुकून की तलाश में हूँ

मैं सड़क पर हूँ ………………………
सड़क पर दहशत है ……………
दहशत में बच्चे पल रहे हैं………
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kanchan

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