Sunday, June 15, 2014

"…कबूतर ने अपने बच्चे की सुरक्षा में ,
आसमान छोड़ रखा है ! "
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किचेन की खिड़की और खिड़की के दरवाजे के बीच
सुरक्षित जगह ढूंढकर कबूतर ने दो अंडे रखे।

सात साल के छोटे बच्चे ने देखा तो
उसके अंदर चूजे देखने की उत्सुकता से उन्हें उठाना चाहा

चार साल के बच्चे ने ऐसा करने से मना किया -
कि ''फिर इसके माता -पिता इसे ढूँढेंगे तो परेशान होंगे
अगर कोई हमे ले जाये तो हमारे माता-पिता हमें कहाँ ढूँढेंगे ? ''

फिर दोनों खिड़की के पास जाकर रोज उन्हें देखते रहते
और इंतज़ार करते कि चूज़ो की आवाज़ कब आएगी ?……

तीन दिन बाद माँ से सवाल किया कि
''कबूतर तो आसमान में उड़ा करते हैं
लेकिन यह तो हर वक़्त यहीं बैठा रहता है
उड़ता क्यों नहीं ?
इसे प्यास भी तो लगती होगी ,
खिड़की में पानी रख दो न !"

"…कबूतर ने अपने बच्चे की सुरक्षा में ,
आसमान छोड़ रखा है "

न जाने कितने कबूतर अपने बच्चों की फ़िक्र में
अपने घोसलों में दुबके हैं!

कबूतरों ने पानी में कंकड़ डालने की कोशिश भी छोड़ दी है
तेज़ तूफानी आँधी में समेट रखे हैं अपने पंख
कंकड़ जमा कर लिए हैं घोंसले के आस-पास
ताकि सिर्फ़ बचा सके एक घोंसला
जिसमें बच्चे हैं !

कबूतर की नज़र की प्यास में
आँधी के पार से आने वाली
किसी बूँद की ठंडक है। …

बच्चे चूजों की फ़िक्र में हैं ,
खिड़की में रखा पानी किसी स्ट्रॉ के इंतज़ार में सूख रहा है!……
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कंचन

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