Sunday, June 15, 2014

कोरा गुलाल……
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बर्फ़ से जमे तुम्हारे
एहसास को पिघलाने
होली की गुनगुनी हवा
मचल-मचलकर आयी है!

मेरा गाल सुर्ख़ हुआ है
लेकिन मेरे हाथ का 
पीला गुलाल कोरा है !…

मैं टेसू का फूल बनूं अब
और चेहरे सबके रंग आऊँ
तुम बादल से रंग बन बरसो
मैं बन गुलाल अब उड़ आऊँ।

हुड़दंग आज मद मस्त खड़ा
झूम- झूम फ़ाग उठ गाता है
तुम बन पिचकारी बरस पड़ो
यह रंगा ख्वाब अब आता है …
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कंचन

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